आरटीई योजना का नाम सुनकर गरीबों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। लेकिन यह मुस्कान अब फीकी पड़ जाने वाली है। गरीब व्यक्ति सोचता है, कि आखिरकार अब उसका बच्चा भी प्राइवेट स्कूल में पढ़ सकेगा। और अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकेगा। लेकिन ऐसा अब बिल्कुल भी नहीं होगा।

क्योंकि सरकार ने अब इस योजना के तहत अभिभावकों के खाते में पैसे ट्रांसफर करना शुरू कर दिए हैं। बहुत सारे माता-पिता के खाते में RTE Fees के पैसे आए हैं। जिसे देखकर लगता है, कि अब गरीब परिवारों का सपना अब अधूरा ही रहेगा। अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का।

RTE Fees के रूप में मिले पैसे अब बेकार
सरकार ने पहले आरटीई को लेकर बड़े-बड़े दावे किए थे। लेकिन वह सभी दावे अब खोखले नजर आ रहे हैं सरकार के बड़े बदलाव के कारण। सरकार पहले RTE Fees के पैसे स्कूल के खाते में डालती थी जिसके कारण स्कूल वालों को बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करनी होती थी। लेकिन सरकार अब यह पैसे अभिभावकों के खाते में डाल रही है।

RTE Yojana के तहत सरकार मात्र बच्चों के माता-पिता के खाते में ₹450 डाल रही है। जरा आप खुद सोचिए इन 450 रुपए से क्या होगा। यह खबर आज राजस्थान पत्रिका के अंदर आई है। जिसके अंदर राजस्थान के सीकर के अंदर यह घटना होती हुई नजर आई है। माता-पिता के खाते में मात्र 450 रुपए आए हैं।
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RTE Fees Amount के रूप में आने वाले पैसे की सच्चाई
पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक बच्चों के जो प्राइवेट स्कूल में खर्च होते हैं उन खर्चा के बारे में समझते हैं। यहां पर खर्च की गणना औसत मानकर करी गई है। इस गणना में एक बच्चे का प्राइवेट स्कूल में हर कक्षा के अनुसार 1 वर्ष का खर्चा बताया गया है।

यहां पर जो गणना की गई है। उसके आधार पर हमने आपको यहां पर औसत खर्च बताया है आपके शहर के मुताबिक इसमें थोड़ा बदलाव हो सकता है। लेकिन लगभग लगभग सभी शहरों के अंदर स्कूलों का खर्च इससे ज्यादा ही होगा इससे काम नहीं होगा अब आप खुद बताइए जो सरकार की तरफ से ₹450 दिए गए हैं।आरटीई फीस के नाम पर उससे क्या होगा।